STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

हसरतें

हसरतें

1 min
194


 हसरतें जिंदा रहेंगी

जब तक दुनिया कायम रहेगी,

यह अलग बात है कि

मुखौटों की कमी न होगी।

मन में जहर भरे

मुस्कुराते चेहरों के बीच

जबरन हँसते रहना होगा,

मुँह में राम,बगल में छूरी 

जिनका सिद्धांत हो,

उनकी जय जयकार के बीच

मजबूरन जीना होगा।

हसरतों का भी हम 

क्या करें साहब?

जब तक जिंदा हैं

हसरतों को भी

जिंदा रखना होगा।

हसरतों को मारने की 

भूल भला कैसे करें?

हसरतों के मरने से पहले

खुद मरना होगा।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract