हर रोज नया कुछ लिखता हूं
हर रोज नया कुछ लिखता हूं
हर रोज नया कुछ लिखता हूँ
हर रोज नया कुछ सीखता हूँ
कोई नहीं है गैर मेरा
मैं सबको अपना लिखता हूँ...।।
तु भी मेरा अपना है और
वह भी मेरा अपना है
चलूं साथ सब को लेकर
मेरे जीवन का ये सपना है...।।
किस-किस का सम्मान करूं
मैं किस-किस का अपमान करूं
सब है मेरे अपने, भगवन!
सबका मैं गुणगान करूं...।।
बात सभी के भले की हो
मैं वही बात को लिखता हूँ
हर रोज नया कुछ लिखता हूँ
हर रोज नया कुछ सीखता हूँ...।।
