हर पल इतिहास है
हर पल इतिहास है
हर पल इतिहास है
क्योंकि इसमें इतिहास बनने की
सम्भावना है।
आदमी स्वभावतया कोशिश भी करता है
हर पल को इतिहास बनाने की
इतिहास बनने की।
कभी कोई पल रौशन हो उठता है
कभी अतीत के समुन्दर में
तिरोहित हो जाता है।
हर पल इतिहास है
और हर पल इसकी विवेचना है
यूँ ही सभ्यता के उपकरण बनते हैं
हर पल एक नाम मे जीता है
हर पल एक नाम से मिटता है।
आजकल तो दुनिया में
एक बौद्धिक बहस का बुखार सा है
पल को नाम के साये में
देखने सुनने की कोशिशें हो रही हैं।
जो भी नाम दें इस टकराव को
सभ्यता और अराजकता के बीच
राजनीति अपराध के बीच
धर्म अधर्म के बीच
एक विभाजन रेखा खींचना
एक युद्ध के बीच से गुजरना है।
ऐसे हालात में भी
हर पल इतिहास है
और यही उसका भविष्य है।
सुना है अब वैश्वीकरण का नहीं
सम्प्रभु राष्ट्रों का भविष्य है
अच्छा लगता है
जैसे स्वतः एक बौद्धिक युद्ध
डूब गया अपने आप में।
जो भी हो
हर पल मनुष्य की
सम्प्रभुता का इतिहास है
क्योंकि ये दुनिया
मनुष्य की विरासत है।
