होलिका
होलिका
मत जलो अब तुम होलिका,
बलिदान तुम्हारा व्यर्थ है।
सत्य है रौंदा हुआ,
और असत्य सर्वत्र है।
प्रतिवर्ष की बस एक रीत हो केवल
त्योहार रूपी बस एक मनोरंजन।
कोई सीख नही कोई ज्ञान नही,
अब तुम्हारा कोई अपमान नही।
मर कर तुमने बतलाया है
अपने आदर्शों को फैलाया है।
एक क्षेत्र से एकक्षत्र ,
अपना राज्य फैलाया है।
सत्य धर्म प्रेम सहिष्णुता,
इनको इतिहास बनाया है।
सिद्ध साधना हुई बन ज्वाला,
मत जलो अब तुम होलिका।
