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Mihir Kumar Jha

Abstract

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Mihir Kumar Jha

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शिक्षक

शिक्षक

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द्रोणाचार्य, तुम्हें नमन

राजकुल के सिंह शावकों को

चलना सिखाया उन मानवों को

रखा विश्वास में उन शासकों को

दिया राजपुत्र जिसने तुम्हारे दामन

हे द्रोणाचार्य, तुम्हें नमन।


कुरुपुत्र और पाण्डुपुत्र को

मल्लयुद्ध और धनुरयुद्ध को

समेट सिखाया सारे युद्ध कला को

अप्रत्यक्ष रूप से एकलव्य को

सबको तुमने बांटा ज्ञान

हे द्रोणाचार्य, तुम्हें नमन।


अब मिटा दो भेद भाव को

अहंकार और विद्वेष भाव को

प्रेमभाव से संकुचित भाव को

सहनशीलता से युद्धभाव को

करते हैं हम तुम्हारा अभिनंदन

हे द्रोणाचार्य, तुम्हें नमन।


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