होलिका दहन
होलिका दहन
फाल्गुन मास में आता होली का त्यौहार
रंगो संग लाता है हंसी खुशी की बौछार
इसके पीछे प्रचलित ...एक कथा पुरानी
तो सुनो..हिरण्यकश्यप की एक कहानी
राजा हिरण्यकश्यप विष्णु जी का दुश्मन
और पुत्र प्रह्लाद विष्णु जी का परम भक्त
पुत्र प्रह्लाद विष्णु जी की शक्ति को माने
पर हिरण्यकश्यप स्वयं को ही ईश्वर माने
पिता ने पुत्र को मारने की योजना बनाई
और क्रोधाग्नि में अपनी ही बुद्धि जलाई
पिता के वार हर बार बच गया था प्रह्लाद
जैसे लगा समाप्त हो रहा जीवन आह्लाद
अंत में दे दिया होलिका को एक आदेश
बैठ जाओ पुत्र प्रह्लाद संग तुम अग्नि में
वरदान मिला था बहन को ना जलने का
बैठ गया प्रह्लाद मान रखा था कहने का
प्रह्लाद जा बैठे जब होलिका की गोद में
होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो गई
प्रह्लाद प्रभु ध्यान में मग्न बैठे थे अग्नि में
प्रभु कृपा से बाल भी बांका ना हो पाया
इसी घटना को याद कर होलिका जलाते,
और सब मिलकर होली का पर्व मनाते हैं
फाल्गुन मास में आता होली का त्यौहार
रंगो संग लाता है हंसी खुशी की बौछार।
