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VIVEK ROUSHAN

Abstract

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VIVEK ROUSHAN

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हमें तो चलना है तन्हा

हमें तो चलना है तन्हा

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दुःख को अपने सर - ए - बाजार क्या करते

हम जिंदगी  से  भला  प्यार  क्या करते


जिस हसीं को है अपने हुस्न पर ग़ुरूर बहुत

उस हसीं पर हम जान - निसार क्या करते


जो मेरा था कभी जब वो भी मेरा न रहा

फिर किसी गैर पर हम ऐतबार क्या करते

  

जो लोग रहते हैं सदा रौशनी की तलाश में

वो लोग भला तीरगी से प्यार क्या करते


हमें तो चलना है तन्हा अपनी मंज़िल की ओर

फिर हम किसी हमसफर का इंतज़ार क्या करते।


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