हमें मोहब्बत का हर इक तराना याद है
हमें मोहब्बत का हर इक तराना याद है
चुपके चुपके नजरों से मुस्कुराना याद है
हमें मोहब्बत का हर इक तराना याद है
बंद कमरों के सन्नाटों में भरी सिसकियों की क्या कीमत
हमें गुजरे इश्क का वो जमाना याद है
होते रहते हैं कई वाकये कई नजरों से
लेकिन हमें उन नजरों का अफसाना याद है
गीत शेर शायरी गजल लिखना हर आशिक को नहीं आती
उसकी बातों की धुन का हर गाना याद है
पहली पहल किसने की नहीं जानते हम भी
मगर आखिरी पहल का रुलाना याद है
इश्क भी किसी सदी से कम नहीं जी कर देखो "वैरागी"
बात करने से लेकर बात ना करने तक का हर बहाना याद है।

