खुदा की नेमत कुदरत की फनकार हो तुम
खुदा की नेमत कुदरत की फनकार हो तुम
खुदा की नेमत, कुदरत की फनकार हो तुम
लेखन की शैली,रूप का श्रृंगार हो तुम
मंत्रों की ऋचा, ग्रंथों का सार हो तुम
विधा की रूपरेखा,भाव में भार हो तुम
भाषाओं की लिपि, शब्दों का अर्थ हो तुम
नदी हो झरना हो शृंग हो गर्त हो तुम
आवाज में सुर, गीतों की ताल हो तुम
चाँद सी शीतल,लालिमा सी लाल हो तुम
तुम बारिश की बौछार हो,बसंत की महक हो तुम
रमणीक सा सन्नाटा,पंछी की चहक हो तुम
तुम शून्य हो विलोम हो,अनुलोम हो व्योम हो
तुम मंगल तुम बुध तुम्हीं शनि तुम्हीं सोम हो
तुम्हीं ऋतु हो,तुम रीत हो,,तुम प्रीत हो मनमीत हो
तुम छंद हो तुम ताल हो तुम लय हो तुम गीत हो
तुम राग हो अनुराग हो,तुम संयोग हो विराग हो
तुम हवा हो जल हो,तुम ज्वाला तुम आग हो
तुम पेड़ों की शीतल छाँव हो,तुम मेरा पूरा गांव हो
तुम शहर मेरे सपनों का,तुम पतवार हो नाव हो
तुम वर्णन हो सारांश हो,तुम प्राण हो तुम श्वास हो
तुम उगती किरण सूरज की,तुम सम्भावना की आस हो
कैसे करूँ बयान कि तुम क्या हो "वैरागी"
अंत में बस तुम तुम हो बस तुम तुम हो!