हमदर्दी का दिखावा
हमदर्दी का दिखावा
हमदर्दी का जो
कुछ जरूरत से ज्यादा ही
दिखावा करे
उससे दूर रहो
जो तुमसे दूर है
उससे तो तुम दूर हो ही
एक उचित दूरी
हर रिश्ते में जरूरी है
करीब आने पर
जो पता चलती है
एक दूसरे की कमजोरियां फिर
लोग खेलते हैं भावनाओं से
ऐसे व्यवहार से
दिल को फिर चोट बहुत
लगती है
एक मां बाप के अलावा
इस दुनिया में
तुम्हारा कोई शुभचिंतक नहीं
यह बात भलीभांति समझ लो
इसकी मन में गांठ बांध लो
कहने को तो
दुनिया भरी पड़ी है
अच्छे लोगों से पर
सबकी किस्मत अच्छी कहां होती है
दिल से
किसी का भला चाहने वाले
इस दुनिया में
कम ही मिलते हैं
जीवन की राह बेशक है
फूलों से भरी पर
पथ में पग पग पे
कांटे भी बिछे हैं
फूलों के संग भी कांटे उगे
हुए हैं
संभल संभल कर चलना
यह जीवन तुम्हारा है
किसी के बहकावे में आकर
दौड़ने लगे
गिर पड़े या कांटे चुभे तो
इस गलती का जिम्मा फिर
तुम्हारा है।
