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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

हम लड़के कभी रोते नहीं है

हम लड़के कभी रोते नहीं है

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हम लड़के कभी रोते नहीं है

ज़ख्म हो कितना ही गहरा

हंसना कभी भूलते नहीं है

प्रकृति ने हमे बनाया है कुछ ख़ास

दर्द में सबके सामने टूटते नहीं है


हम लड़के कभी रोते नहीं है

जितना ज़्यादा हम हँसते है न,

कभी तन्हाई में आकर देखना

हम रातों को भी सोते नहीं है


कहने को हम पत्थर दिल है

कभी दिल में झांककर देखना

हिमपर्वत भी हमसे ज़्यादा पिघलते नहीं है

हम लड़के कभी रोते नहीं है

कहते है लड़के तो होते बड़े कड़के है


कभी महफ़िल में आना हमारी,

हम यारों के लिये,

कपड़े भी जिस्म पर रखते नहीं है

सर्द अंधेरी राते होती है काली काली


दिल नहीं होता है कभी भी हमारा ख़ाली

रात को भी हम दोस्तो से 

बात किये बगैर रहते नहीं है

हम लड़के कभी रोते नहीं है


कुछ अच्छा होता है तो बहुत बोलते है

दिल टूटा हो तो भी

सबके सामने रोते नहीं है

आंसू आना अलग बात है

आंसू लाना अलग बात है


आंखे भरी हो तो भी हम

आंसू खोते नहीं है

दोस्तो के लिये

जान तक देने का जज़्बा,

हम दोस्तों की आंख में,


एक भी आंसू देखते नहीं है

आईना भी हमे देख जिंदा है

वो भी हमारे दिल का परिंदा है

हम खुदगर्जी में कभी,

आईने बेचते नहीं है


हम लड़के कभी रोते नहीं है

बेवफ़ाई करना हमारी फ़ितरत नहीं है

हम प्यार में किसी का दिल तोड़ते नहीं है

लाख गालियां खा लेने के बाद भी,


हम माता पिता को कभी भूलते नहीं है

कभी कुछ भी हो जाये,

इल्ज़ाम हमेशा हम पर लगता है,

जैसे हम कोई पत्थर की मूरत है


निरपराध होने पर भी 

लोग हमे छोड़ते नहीं है

हम लड़के कभी रोते नहीं है

हमारी भी कुछ इज्जत है ज़मानेवालो

कुछ रहम हम पर भी करो


हम लड़के बेवजह 

किसी से जंग छेड़ते नहीं है

स्वाभिमान ही हमारी ताकत है

हम लड़के कभी ज़मीर बेचते नहीं है

हम लड़के कभी रोते नहीं है।


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