हम भी कुछ देना सीखें....
हम भी कुछ देना सीखें....
प्रकृति भी तो हमें देती सब कुछ
हम भी तो कुछ देना सीखें,
प्रकृति भी हमें देती सब कुछ,
धरा, गगन, झरने पहाड़,
कल कल करती नदियां, सब कुछ,
हमने क्या दिया यह भी सोचो,
निर उत्तर रहेगें, युगों तक,
प्रकृति भी हमें सब कुछ देती,
हम भी तो कुछ देना सीखें,
जल, जंगल, धूप और छांव
भोजन, पानी, हवा, दवा सब कुछ
हम क्या देते, यह भी देखो,
निर उत्तर है, पेड़ काटेगें तब तक,
प्रकृति भी हमें सब कुछ देती,
हम भी तो कुछ देना सीखें,
क्यों बिगड़ी प्रकृति की सुंदरता,
क्या यह सोचा है अब तक
दोहन कर दे रहे जल, वायु प्रदूषण,
नष्ट कर हरियाली, और सब कुछ
क्या कर चुके है, यह भी देखो,
भुगतेगें परिणाम, न जाने कब तक,
प्रकृति भी हमें सब कुछ देती,
हम भी तो कुछ देना सीखें,
करना होगा आभार प्रकृति का,
जल, नभ, वायु के श्रंृगार तक
मन से करना होगी चहुं और हरियाली,
सुंदर न बन जाए, ये धरा जब तक,
बहेगी कल कल करती नदियां,
मदमाती हवाएं चलें वर्षो तक,
याद रखेगी आने वाली पीढ़िया,
प्रकृति की सुंदरता, युगों युगों तक
प्रकृति भी हमें सब कुछ देती,
हम भी तो कुछ देना सीखें।