हम अपनों के बिन अधूरे हैं
हम अपनों के बिन अधूरे हैं
हम अपनों के बिन अधूरे हैं,
छोटा – सा जीवन !
देखा है हमने
अपनों के बिन ए! जिंदगी! अधूरी है,
हम अपनों के बिन अधूरे हैं।
छोटा - सा जीवन!
सपने हैं मेरे बस इन्हीं से,
देखा है हमने,
बिन इनके मेरे सपने अधूरे हैं,
अपनों के बिना ए! जिंदगी ! अधूरी है,
हम अपनों के बिन अधूरे हैं।
छोटा – सा जीवन!
मेरी खुशियाँ इन्हीं से,
बिन इनके घर कैसा ?
देखा है हमने,
वह घर ही अधूरा है,
जिस घर में मेरे अपने ना हों,
हम अपनों के बिन अधूरे हैं।
छोटा – सा जीवन!
चेतना अपनों के बिन यह जीवन अधूरा है,
देखा है हमने
अपनों के बिन ए! जिंदगी ! अधूरी है,
हम अपनों के बिन अधूरे हैं।