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चेतनाप्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Abstract

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चेतनाप्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Abstract

हम अपनों के बिन अधूरे हैं

हम अपनों के बिन अधूरे हैं

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हम अपनों के बिन अधूरे हैं,

छोटा – सा  जीवन !


देखा है हमने

अपनों के बिन ए! जिंदगी! अधूरी है,

हम अपनों के बिन अधूरे हैं।


छोटा - सा जीवन!

सपने हैं मेरे बस इन्हीं से,


देखा है हमने,

बिन इनके मेरे सपने अधूरे हैं,

अपनों के बिना ए! जिंदगी ! अधूरी है,

हम अपनों के बिन अधूरे हैं।


छोटा – सा जीवन!

मेरी खुशियाँ इन्हीं से,

बिन इनके घर कैसा ?


देखा है हमने,

वह घर ही अधूरा है,

जिस घर में मेरे अपने ना हों,

हम अपनों के बिन अधूरे हैं।


छोटा – सा जीवन!

चेतना अपनों के बिन यह जीवन अधूरा है,


देखा है हमने

अपनों के बिन ए! जिंदगी ! अधूरी है,

हम अपनों के बिन अधूरे हैं।



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