हिंदी उत्सव
हिंदी उत्सव


हरितभूमि और सप्तसिंधु से सिंचित भाषा है हिंदी,
भारत की सोंधी माटी की शिलालेख भाषा है हिंदी।
हिम शिखरों से तराई तक अविरल छाई है हिंदी,
ब्रज ,अवधी, आल्हा, दोहों, कजरी गीतों में रमी है हिंदी।
अट्ठारह बोली में देखो बंधुत्व भाव भरती हिंदी,
अनवरत जन के विचार विमर्श करती हिंदी।
भारत के मध्य खड़ी है हिंदी,
उर्दू के संग चली हिंदी।
हिंद देश की गंगा जमुनी तहजीब है हिंदी।
समरसता सम सागर है हिंदी,
मधुरिमा स्वर्ण गागर है हिंदी।
मां का पावन आंचल हिंदी।
हरितभूमि और सप्त सिन्धु से सिंचित भाषा है हिंदी,
भारत की सोंधी माटी की शिलालेख भाषा है हिंदी।
वर्तमान में हिंदी टंकण को अपनाकर नवयुग गूगल पर हमें रचना होगा ,
हिंदी के उत्थान को हम सबको मिलकर चलना होगा।