हिन्दी पर दोहे
हिन्दी पर दोहे
हिंदी बिंदी देश की,और यही पहचान।
हिंदी में भी शान है,हिंदी है अभिमान।।
हिंदी जो बोले सखा,वह भारत का लाल।
परिपाटी रक्षित वही,करता बनकर ढाल।।
मुख में हिंदी का रहे,जब पावन परिधान।
निज भारत का है वही,गरिमामय पहचान।।
दक्षिण की पा सभ्यता,स्वयं लगाकर रोग।
निज हिंदी को भूलकर,इठलाते क्यों लोग।।
कोहिनूर नित ही करो,हिंदी का सम्मान।
इस हिंदी से देश की,जग में बढ़ते मान।।