भारत की माटी
भारत की माटी
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माहिया छंद -भारत की माटी
★★★★★★★★★★★
पूजा की आरत हैं,
समता है जिसमें....
यह मेरा भारत है
हो स्वर्ग हिमालय सा,
हृदय रहे अपना...
कैलाश शिवालय सा
पावन परिपाटी हैं
चंदन के जैसा
भारत की माटी है
प्यासे समशिरो को
चाह चलाने की
भारत के वीरों को
रक्षक जो सीमा के
वह भी बेटे है
अपनी भारत माँ के
वह कर्म महान किया
भारत के पग में
अपना बलिदान किया
मैं शीश झुकाता हूँ
गाथा वीरों की
श्रद्धा से गाता हूँ।