हा मै कवि हूँ
हा मै कवि हूँ
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जीने की राह दिखाता हूँ।
अपनी लेख से,
लोगो को जगाता हूँ।
हाँ मै कवि हूँ
रूठे मन को मनाता हूँ।
हास्य कविता लिखकर
आम जनों को हँसाता हूँ।
हाँ मै कवि हूँ
कभी प्रकृति सौंदर्य,
कभी श्रृंगार रस पर,
नारी का वर्णन करता हूँ।
हाँ मै कवि हूँ
अदम्य पराक्रम
साहसी वीरता पर,
सैनिकों की गाथा लिखता हूँ।
हाँ मै कवि हूँ
रंग बिरंगी होली
दिवाली की उजियारे पर,
त्योहारों पर लिखता हूँ।
हाँ मै कवि हूँ
मेरी इन जिज्ञासा
मानव जीवन जगाने की,
कोहिनूर की कलम से लिखता हूँ।
हाँ मै कवि हूँ