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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"हिंदी नववर्ष"

"हिंदी नववर्ष"

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हृदय में है,मेरे आज अपार हर्ष

आ गया हमारा हिंदी चैत्र नववर्ष

आज होती नवरात्रि घट स्थापना

मातारानी पूजन से मनाते है,पर्व


नीम के साथ,कुछ मीठे का सेवन

पूरे वर्ष खट्टी-मीठी यादों का मन

सुख-दुःख मानते,एक जैसा मर्ज

आ गया हमारा हिंदी चैत्र नववर्ष


इसदिन हुआ था,सृष्टि का उदय

इसदिन को मानते है,हिंदू अक्षय

राजा विक्रमादित्य नाम से चला,

कहलाया यह विक्रम शक संवत


प्रकृति में भी होता ऋतु परिवर्तन

ऐसा वैज्ञानिक है,हमारा नववर्ष

सुनहरी धूप का पहने धरा कंचन

लगती जैसे बनी वो आज दुल्हन


गिरते पतो से टूटता पूर्ववर्ष दर्पण

नवहरित वस्त्र साथ,धरा दिखती है

नव वर्ष पर सुंदर सुमन,सुलोचन

आ गया हमारा हिंदी चैत्र नववर्ष


कन्यापूजन का लगाते,9 दिन चंदन

बताता,कन्या का,मां सा करो वंदन

गर्भ में गर करते हो,भूर्ण-हत्या जन

फिर छोड़ दो मातारानी का पूजन


हर-कन्या में मातारानी का अंश है

मातारानी के हो,उपासक सज्जन

तोड़ दो,घिनौने अपराध के बंधन

आज से नव वर्ष पर लो,संकल्प


कन्या को मातृशक्ति मानें,हर नर

तभी बनेगा मनु,नर से नारायण

आ गया हमारा हिंदी चैत्र नववर्ष

आज से सत्कर्म का लेते,संकल्प


झूठ का छोड़ देंगे,हम तो प्रलोभन

सत्य का ही रखेंगे,हम तो आकर्षण

बनाएंगे भीतर खुद का ऐसा दर्पण

मनु ही दिखे,न दिखे पशु छद्म तन।



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