हिन्दी - जगत उद्धारिणी
हिन्दी - जगत उद्धारिणी
हिन्दी भाषा प्यारी भाषा,
जगत उद्धारिणी हिन्दी भाषा।
हर शब्द का भिन्न अर्थ है,
न पहचानो तो अनर्थ है,
प्यार बाँटती चलती भाषा।
जगत उद्धारिणी हिन्दी भाषा।
जो न जाने हो वंचित धर्म से,
हो वंचित गीता मर्म से,
अनपढ़ से विद्वान बनाती भाषा।
जगत उद्धारिणी हिन्दी भाषा।
मान हिन्द का इसमें समाया,
विश्व में नाम का डंका बजाया,
क्यों ? अपने गृह हुई पराई भाषा।
जगत उद्धारिणी हिन्दी भाषा।
अपने मूल को तुम जानो,
छद्मवेश को तुम त्यागो,
आन, मान, सम्मान बढ़ाये भाषा।
जगत उद्धारिणी हिन्दी भाषा I