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आईना वैश्य

Inspirational

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आईना वैश्य

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हिन्दी भाषा पर दोहे

हिन्दी भाषा पर दोहे

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हिन्दी भाषी जन सभी, दे औरों को मात।

हिन्दी में जो बात है, कहीं नहीं वो बात।।


शब्द भावना से भरे, ऐसे इसके बोल।

जननी की भाषा यही, हिन्दी है अनमोल।।


शब्द-शब्द गरिमामयी, हिन्दी की पहचान।

भाव अधूरे से रहें, बिन हिन्दी के ज्ञान।।


अंग्रेजी वाचक कहें, हिन्दी हिंद महान।

जाए हम जिस देश भी, हिन्दी हो पहचान।।


हिन्दी अधरों पर सजे, हो हर शब्द प्रधान।

उच्च शिखर मिलता रहे, हो सबको अभिमान।।


इसकी उन्नति का सदा, हृदय से रखें ध्यान।

सभी विदेशी भी करें, हिन्दी का गुणगान।।


हिन्दी का गौरव बढ़े, रहे युगों तक प्यार।

इसकी सेवा का हमें, है पूरा अधिकार।।


उच्च शिखर पहुंचा दिया, धन्य धन्य बिश्वास।

हिन्दी गीत बुझा रहे, शुष्क अधर की प्यास।।


उन्नति हिन्दी की करें, हम देकर जी जान।

निज भाषा उन्नति बिना, हो नहीं देश महान।।


निज उन्नति का भी सदा, हिन्दी हो आधार।

जग में वैभव व्याप्त हो, हो नित खूब प्रचार।।


अनपढ़ को ज्ञानी बना, हिन्दी देती मान।

अपना भी ये फ़र्ज़ है, दे इसको सम्मान।।


जन्मे हिन्दुस्तान में, हिन्दी से पहचान।

अंग्रेज़ी की चाह में, मन करिए अपमान।।


हर भाषा के शब्द को, करती ये स्वीकार।

चित-चरित्र से पावनी, हिन्दी बहुत उदार।।


अंग्रेज़ी मेहमान है, स्वागत हो भरपूर। 

पर हिन्दी-सा न फैले, अंग्रेजी का नूर।। 


हिन्दी भाषी लोग हम, हमको है अभिमान ।

कम नहीं होने देंगे, हिन्दी माँ की शान।। 


नारे हिंदुस्तान के, करते जय-जयकार।

हिन्दी की ही देन ये, हिन्दी का उपकार।। 


अंग्रेजी कुछ सीख कर, बने विदेशी लोग। 

हिन्दी माँ को भूलते, गहरा बड़ा वियोग।।



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