हिंदी भाषा और मेरा चिंतन
हिंदी भाषा और मेरा चिंतन
अब अंग्रेजी का राज चल रहा
हिंदी दासी सी बन बैठी
हो रहा पलायन नगर से अब
यह ग्राम की वासी बन बैठी
अब मान में जीती अंग्रेजी
हिंदी तो लाज की मारी है
अंग्रेजी मूल निवासी सी
हिंदी शरणार्थी बन बैठी।
हिंदी से सीखा सबकुछ
हिंदी ने हमें सिखाया है
वैचारिक और व्यावहारिक
हिंदी ने हमें बनाया है।
यदि दें महत्व हम हिंदी को
यह पुनः हमारी शान बने
है अतुलनीय अपनी हिंदी
इसकी विश्व विदित पहचान बने।