"हिंद सैनिक जिगर"
"हिंद सैनिक जिगर"
भारत के सैनिकों का देखो,तुम जिगर
दुश्मन की सेना थी,गिरी,पर्वत के ऊपर
फिर भी उन्हें मार गिराया,ऐसे थे,निड़र
उनकी शहादत याद करते,हम घर-घर
आज ही मनाते कारगिल विजय दिवस
आज 26 जुलाई को ही हुआ था,गदर
भारतीय सैनिक चढ़े थे,आज यूं शिखर
जूं गुजरता वन में कोई मदमस्त कुंजर
भारत के सैनिकों का देखो,तुम जिगर
असंभव कार्य को दिखाया,उन्होंने कर
शूल में खिलाये,उन्होंने कई फूल सुंदर
गिरी पर टिके,शत्रुओं का काटा,सर
कठिन परिस्थितियों में भी दिखाया
भारतीय सैनिकों ने,साहस जीभर
भारत के जैसे वीर,सैनिक न किधर
भारत के सैनिक तो है,साखी शजर
सदैव देते ही,देते,सबका भरते,उदर
हिंद सैनिक वीरता,परोपकार के घर
हम सोते अपने घरों में चद्दर,ओढ़कर
सीमा पर रहते,जान हथेली में रखकर
भारत के सैनिकों का देखो,तुम जिगर
दुश्मनो का सदैव कर देते,जीना दूभर
वीरता की पराकाष्ठा के वो,एक समर
उनकी कुर्बानियां,वक्त से आगे है,अमर
हिंद के सैनिकों को याद रखो,सदर
उनकी वजह से टिके हुए,व्यक्ति हर
हिंद के सैनिक न रहे एकदिन भी,गर
तो न बचेगा,तन वसन भी तिनका भर
भारत के सैनिकों का देखो तुम,जिगर
इनके आगे टूट जाते,नुकीले शत्रु पत्थर
मौत की नही है,इनको जरा भी फ़िकर
रक्षा करते है,हमारी हर घड़ी,हर प्रहर।