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Muskan Kotwal

Abstract

4.3  

Muskan Kotwal

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हीरा

हीरा

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93


ऐ हीरे ! तेरा नूर हर जगह,

तू मत कर फिक्र तुझसे कोई न है खफा।


हीरे की खान में बहुत से हीरे हैं मौजूद,

लेकिन असली हीरे का होता है एक ही वजूद।


उस हीरे को बनने में लगता है वक्त,

हर आफत के लिए कर लो अपने आप को सख्त।


जिंदगी का हर लम्हा है जरूरी,

क्यों न कर ले ऐ हीरे तू अपनी हर इच्छा पूरी।


खानी पड़ती है कड़ी चोट बनने के लिए एक हीरा,

उस बात सेे वाकिफ़ हो , फिर भी सहे वह पीड़ा।


क्योंकि हर हीरा असली नहीं होता,

नकली तो बहुत देखे हैं पर असली को पड़ता है खोजना।



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