यादें
यादें
पलों को सहेज कर बनती है यादें,
यादों में शब्द मिलते ही बनती है बातें।
जिंदगी की दौड़ में हम आगे चले जाते हैं,
पर कई बार अपनों को यादों में छोड़़ आते हैं।
ना जाने क्यों फिर उन्हें तस्वीरें में ही महसूस कर पाते हैं,
वहीं ताकते मन ही मन माफ़ करने को भी कह न पाते हैं।
जब अपने तस्वीरों में चले जाते हैैं,
तब वह सिर्फ यादों में बस जाते हैं।
फिर उन पलों को केवल एल्बमों में पाते हैं,
दोहराएं जाएं वह पल सिर्फ इतनी दुआ कर पाते हैं।
आंखों से बहते अश्रु एल्बम को भिगो जाते हैं,
पर अब अंदर केवल यादें हैं जो बहते जल को
महसूस ना कर पातें हैं।
आ जाता है फिर वह दिन जब हम भी तस्वीरों में
कैद हो जाते हैं,
एल्बम फिर पटक दी जाती है।
पल फिर यादों में बदल जाते हैं,
यादों में शब्द मिलते ही बातें बन जाते हैं।