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Vikram Kumar

Abstract

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Vikram Kumar

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हे ईश्वर इस जहाँ से कीजै

हे ईश्वर इस जहाँ से कीजै

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हाहाकार हर ओर मचा है , हुए हैं सब मजबूर

हे ईश्वर इस जहां से कीजै , कोरोना को दूर


बंद पड़ा हर ओर यहाँ है , हुआ है क्षय सरताज यहाँ

मन पर दहशत की चलती, भय का चलता राज यहाँ

कल तक तो सब अच्छा ये हुआ क्या जाने आज यहाँ

महामारी है चरम पर अपने , गिरी हुई है गाज यहाँ


जाने क्यों मंशा होनी की, हुई है इतनी क्रूर

हे ईश्वर इस जहां से कीजै , कोरोना को दूर


अपनी दया व करुणा का अनुदान दीजिए जग को

ज्ञान दीजिए और क्षमा का दान दीजिए जग को

सारी विपदा को हर कर राहें आसान दीजिए जग को

जीतने का इस संकट से वरदान दीजिए जग को


अर्जी यही हमारी दिल से कर लीजै मंजूर

हे ईश्वर इस जहां से कीजै , कोरोना को दूर



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