हौंसला बुलंद कर
हौंसला बुलंद कर
मुँह लटकाए बैठा है क्यूँ
हौसला अपना बुलंद कर
गोर्वित वंश का वंशज है तू
निडर होकर आगे बढ़।।
कदम चूमेगी मंजिल एक दिन
अनिश्चितता ना हृदय धर
कट जायेगी दुख की घड़ियाँ
इसकी ना तू चिंता कर।।
हर पल हर क्षण वक़्त बदलता
इसके संग तू खुद को बदल
कर्तव्य धर्म की पुजा कर
कर्मठता संग तू आगे बढ़।।
स्वर्ण इतिहास है तेरे वंश का
उसकों तू ना कलंकित कर
समस्याओ से यदि टूट जाएगा तो
लक्ष्य प्राप्ति भूल के चल।।
उत्साहवर्धन करती उनकी गाथा
त्याग बलिदान को याद तो कर
आशीष चाहिए उनका यदि तो
शीश चुका, नमन तो कर।।
