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Sandeep Kumar

Abstract

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Sandeep Kumar

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है जिसका दिन रात काला, जिसे पड़ा है भुख से पाला

है जिसका दिन रात काला, जिसे पड़ा है भुख से पाला

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है जिसका दिन रात काला

जिसे पड़ा है भुख से पाला


उसे क्या कहूं कबीर

है जिसका ना कोई सहारा


कहूं राही, कहूं फकीर

या कहूं बेबस वजीर।।


इस छोटे से छीर सागर में

जिसका हैं बड़ा जागीर।।


उनसे तो बड़ा भला है

इसका छोटा सा जागीर।।


जो देता है इन्हें

भोजन और शरीर।।


गंभीर घीर और वीर

साहसी है ये बलबीर।।


इनसे नहीं है और कोई

साहसी बड़ा बलबीर।।


जो करे मुकाबला धैर्य से

वही होता है वजीर।।


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