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शैलेन्द्र गौड़ कवि

Abstract

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शैलेन्द्र गौड़ कवि

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हां साहब हम किसान हैं

हां साहब हम किसान हैं

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हां साहब हम किसान हैं !

हम अपने देश की शान हैं !


ऐ शब्द हृदय में चुभता है

हर कोई हमको ठगता है

मेहनत से उपजाते अनाज

कम पैसे का लगता आवाज

हम पे थोड़ा सा ना ध्यान है!


कर्ज लेले कर भरते सबका पेट

नहीं दे पाते तो होती मौत से भेंट

धर्म कर्म हमारा हम निभाते रहेंगे

देशवासी की भूख हम मिटाते रहेंगे

हमारे दुःखों का ना अनुमान है !


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