वृक्ष ~ शैलेन्द्र गौड़
वृक्ष ~ शैलेन्द्र गौड़
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दुःख देते प्रकृति को तो नींद कहां आएगी,
प्रकृति जीवन रक्षक जीवन इसके बिन न रह पाएगी!
जाने अनजाने में क्षति ना पहुंचाओ भाई
ऐ मानव रूपी काया इसकी विपदा न सह पाएगी!
वर्तमान हालात ऐसे भी हैं खराब हमारे,
जीवन की आशा प्रकृति बस अब हैं तुम्हारे!
होश में आवो भाई , प्रकृति को संभालो,
एक एक पौधे लगाओ अपने खेत दुआरे !!
