प्रेम ~ शैलेन्द्र गौड़
प्रेम ~ शैलेन्द्र गौड़
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१
प्रेम बिन जीवन नहीं, प्रेम से सुखी संसार!
जिस हृदय प्रेम नहीं, वह जीवन बेकार!!
२
भरो प्रेम की गगरी, छलकत पर पल जाए!
बसे प्रेम की नगरी, सब घुल-मिल जाए!!
