गुरू
गुरू
गुरू ज्ञान से सींचकर बीज को सशक्त वट बनाते हैं ,
करके मार्गदर्शन गुरू इस जीवनपथ को महकाते हैं ,
करते सद्ज्ञान से रोशन हमारे जीवन की फुलवारी,
आयें घोर कष्ट या हो विपदा भारी ,
सदगुणों का भरके ज्ञान,मिटाते विपदा सारी
प्रेरक ऐसे गुरूवर के हम सदा सह्रदय आभारी,
.
गुरू ब्रह्म ,गुरू विष्णु, गुरू वेद और गुरू पुराण ,
सँवरता जीवन पाकर गुरू से ज्ञान,मिटाते जो तिमिर ,
जीवन का बताकर ,पताका ज्ञान का फैलाकर ,
बग़िया जीवन की महकाते है …….…
छँट जाती अज्ञान और भ्रम की छायी हुई अंधेरी,
करता ज्ञान से जीवन रोशन,बनकर प्रेरक प्रहरी,
ज्ञान सुख का सागर है ,ज्ञान ही है खुशियों की गागर ,जब मिलता गुरू
का सानिध्य तो जीवन भी जाता निखर…
कर्म को क्रियान्वित करना गुरू सिखाते हैं ,
अँधेरे जीवन के गहरे हैं गुरू बिन कौन रोशनी ज्ञान की लाते,
बिन गुरू हम अधूरे हैं ,गुरू के ज्ञान से होते समझ के सवेरे हैं
गुरू के रूप हैं गूढ़ और गहरे ,जिसे हम समझ नही पाते ,
जीवन के हर मोड़ पर सही मार्गदर्शक बन सामने है आते ,
क़भी दोस्त क़भी अपने क़भी वो अनजाने बन
जाते ,सही मोड़ से हमको वो रूबरू है
कराते
हर रूप गुरू का है प्यारा हर रूप को हम
शत शत नमन करते ,शत शत नमन करते ,शत शत नमन करते।