गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
जीवन में आने के बाद बचपन से लेकर बड़े और बूढ़े होने तक..
जो भी अपनी लाइफ में आता है वही गुरू कहलाता है..
पहला कदम मां –बाप के साथ ममता भरा साथ..
फिर सब फैमिली के साथ.. प्यार और दुलार..
पहला पाठ स्कूल में गुरुजी के साथ !
अपने दोस्त यारों के साथ..
अपने जीवन साथी के साथ..
उसके परिवार के साथ...
जो हर कोई जीवन में मिलता है उसके साथ..
हर एक का साथ जीवन में नयी नयी बाते सीखा जाता है..
बेशक गुरू का सम्मान जीवन में कीजिए.. पर पहले अपने खुद के गुरू खुद बनिए.. वही सफलता का सरल और सच्चा मार्ग है! लोग जीवन में बहुत कुछ सीखने सिखाने आते है.. कुछ अच्छी कुछ बुरी हमे अपने खुद से सफलता का मार्ग बनना है.. अच्छी बाते अपने दिल में रख एक अच्छा इंसान बनना है!
