गुरु कृपा
गुरु कृपा


गुरु कृपा की, कृपा जब होती मानव पर,
व्यवहार में उसके परिवर्तन हो जाता है।
जन-जन है वाकिब गुरुजन से, धरा पर,
होती कृपा जब तो परिवर्तन हो जाता है।
गुरु स्थान बिन ज्ञान न मिले, यहां सभी को,
सानिध्य जो पाता संवर्द्धन हो जाता है।
संस्कार से परिपूर्ण है मेरे सभी गुरु जन,
वाणी सुनकर सर्व मन अर्पण हो जाता है।
पाठशाला में बैठकर देखा मैंने सब-कुछ,
भेद-भाव से परे का मार्ग दर्शन हो जाता है।