STORYMIRROR

Archana Tiwary

Abstract

3  

Archana Tiwary

Abstract

गुल्लक

गुल्लक

1 min
225

जीवन के गुल्लक में मैंने जमा रखे हैं कई लम्हे

कुछ अपनों की बातें तो अपनी कुछ अनकही बातें 

तेरे सामीप्य का एहसास तो अपने बिछड़ों की यादें 

भाग दौड़ की रफ्तार में न होता जिनसे मिलना संजो रखी है

उनकी कई अनकही कहानियाँ संभाल कर रखना

इस गुल्लक को जाने के बाद मेरे  इसे फोड़ देख लेना 

हो सके तो संजो लेना फिर से नए गुल्लक में  

जिंदगी के उन सिक्के लमहों के.


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract