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Archana Tiwary

Abstract

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Archana Tiwary

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गुल्लक

गुल्लक

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जीवन के गुल्लक में मैंने जमा रखे हैं कई लम्हे

कुछ अपनों की बातें तो अपनी कुछ अनकही बातें 

तेरे सामीप्य का एहसास तो अपने बिछड़ों की यादें 

भाग दौड़ की रफ्तार में न होता जिनसे मिलना संजो रखी है

उनकी कई अनकही कहानियाँ संभाल कर रखना

इस गुल्लक को जाने के बाद मेरे  इसे फोड़ देख लेना 

हो सके तो संजो लेना फिर से नए गुल्लक में  

जिंदगी के उन सिक्के लमहों के.


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