STORYMIRROR

Dr. Akansha Rupa chachra

Romance

4  

Dr. Akansha Rupa chachra

Romance

गुजरे लम्हे

गुजरे लम्हे

1 min
177


रेत से फिसलते रिश्तो से सबक सीख लिया।

हद से ज्यादा किसी को चाहना गुनाह है।

खता कि हमने उन्हे पाने की, कुछ पल बिताने की।

हर घड़ी दुआ माँगते ही रहे।

कुछ प्यार के पल बिताना चाहते थे।

मीठी बातो मे , हाथो मे हाथ थामे वक्त को रोक पाते।

गुनाहगार है ,अपने टूटे दिल के, बिखरे सपनो के

तेरा गुस्सा कबूल था ,तेरी नाराज़गी समझना मुश्किल था।

गलती जिसकी हो, कसूरवार टूटा दिल ही था।

रिश्ता बचाना चाहते थे।

चुप होकर हर बात पर सिर झुकाए थे।

गुनाहगार की तरह।

मुठ्ठी को कस लेते तो रिश्ते फिसल जाते।

दिल को चूर करना ही मुकद्दर था।

हमने प्यार किया उन्होने दोस्त माना।

सुख तेरा हर फैसला मुझे मंजूर था।

तेरे बिन शायद जिंदा लाश बन जाते।

दोस्ती मे तेरा साथ कबूल था।

काश मेरी धड़कनो को सुन पाते।

तेरा हर फैसला मेरे जीने की वजह बन गया।

सुख आंक्षी का हो ये सपना पलक पर 

डगमगाते मोती सा है।

पलक झपकना भी गवारा नही ।

मेरा सुख रेत के सहरा की तरह।

छू लो तो घरौंदा लगे।

पकड़ो बिखरने लगे।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance