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Jeet Baral

Abstract Tragedy

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Jeet Baral

Abstract Tragedy

गृहिणी

गृहिणी

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मेरा जन्म हुआ है समर्पण के लिए

मेरा जीवन है अर्पण के लिए


भोर की धूंध से शुरू होता है मेरा काम

फिर आ जाता है शाम कोहरे लिए

मेरी कोशिशों का कोई नाम नहीं

नहीं आता है कोई लेकर इनाम हमारे लिए


हम जो कुछ भी करें हमारा कर्त्तव्य है

पर क्या कोई खास करता है हमारे लिएया

ब्याह कर जब ससुराल चली

आई थी आंखों में हजारों सपने लिए


वक्त ने कुछ इस तरह करवट बदला

जीवन के हर मायने ही बदल गए

अब हम, हम न रहे और फिर

हम सबकी जरूरत बन गए

हम रखते हैं सबका ख्याल


किसे, कब, क्या चाहिए

एक मां का भरपूर ममता

 अपने बच्चों के लिए

प्रियतमा का अनुराग है समर्पण

 अपने प्यारे पति के लिए


माता पिता को समर्पित है

मेरा सारा जीवन, जीने के लिए

हूं मैं एक सफल गृहिणी

चलती हूं माथे पे ये अभिमान लिए।


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