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Alok Singh

Abstract

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Alok Singh

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गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई

गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई

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ये रंग केसरिया बलिदानों का 

ये रंग हरा हरियाली का  

श्वेत शांति का देवदूत  

नीला रंग है अम्बर का 


ये चमक रंग में रिश्तों से 

ये खुशबू है जजबातों की 

ये जोश हवा में घुल जो रहा 

है वीरों की गाथाओं की 


ये चेहरे पर जो रौंनक है  

पैगाम है एक खुशिहाली का 

देश प्रेम की किरणें फैली  

सूरज चमके लाली सा  


रौद्र रुपधर दुश्मन का वो 

मस्तक कुचला करता है 

एक सिपाही माँ की खातिर 

जंग लड़ा भी करता है 


मतवाली मुस्कान के संग 

दया भाव बिखराता है 

देश के अन्दर भूचालों में 

दुआ दवा बन जाता है 


संविधान का हर मोती 

सबकी खातिर है साथी 

अपने अधिकारों को समझना 

अपना फर्ज भी है साथी  


जाति धर्म न बांट सके 

ऐसा बंधन है साथी 

सम्प्रभुता सत्यनिष्ठा का 

पाठ पढ़ाती है साथी  


एक सूत्र में पिरोकर रखता 

संविधान है ये साथी 

भारतीयता की सांसें भरता 

संविधान है ये साथी 


तो सबको बधाई इस अवसर पर 

हर जन हर गण हर मन को 

अधिकारों की शक्ति बतायें  

आओ यारा हम सबको।


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