गलती देते हैं सब टाल
गलती देते हैं सब टाल
बड़ा ही हम सबका तो इस जग में है विचित्र सा हाल,
जीवन की समस्याएं तो हैं लगती हैं कुछ को बवाल।
घबरा जाते और सब्र खो देते जो आता समस्या जाल,
घबराहट होती है मेहनत से हमें देती है सुस्ती में डाल,
अक्सर कोशिश करके अपनी गलती देते हैं सब टाल।
हर एक जन से गलती प्रायः अनजाने ही होती है,
विरलों में ही इसे मानने की बस हिम्मत होती है।
ज्यादातर अपनी गलती को दूसरे के सिर मढ़ते हैं,
लेकिन इस काम पर खुद को कुछ होता नहीं मलाल,
अक्सर कोशिश करके अपनी गलती देते हैं सब टाल।
कम मेहनत में ज्यादा की ,चाहत तो सबकी होती है,
मन अनुरूप फल न मिले फिर हालत पतली होती है।
पछताते हैं मेहनत कर लेते आलस न होता दिखाया,
बीता वक्त न वापस आता , फिर है नहीं बदलता हाल,
अक्सर कोशिश करके अपनी गलती देते हैं सब टाल।
मेहनत व्यर्थ कभी नहीं जाती, डटकर मेहनत करें,
सफलता हेतु मार्ग छोटा लेने से,किए पर पानी फिरे।
निडर रहो कहता हर कोई, पर आलस से सदा डरें,
नियोजन विवेक से लक्ष्य-भेद कर,असफलता दें काल,
अक्सर कोशिश करके अपनी गलती देते हैं सब टाल।
असफलता अभिशाप नहीं इससे अनुभव मिलता है,
अपेक्षित श्रम न हो तो खोया समय बड़ा ही खलता है।
सफलता-असफलता का मृदु-कटु फल खुद तो चखना है,
असफल हुए मिली न सफलता,मन में तो रहेगा मलाल,
अक्सर कोशिश करके अपनी गलती देते हैं सब टाल।