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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

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घूमते - घूमते

घूमते - घूमते

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हम सभी आ गए घूमते- घूमते।।

हम सभी आ गए झूमते- झूमते।।


न थी जिनकी तलाश वो भी आ गए।

न थी जिनको प्यास वो भी आ गए।

वो भी आ गए झूमते झूमते।।


ना थे जिनके अहसास वो भी आ गए।

ना थे हमारे जो खास वो भी आ गए।

वो भी आ गए घूमते- घूमते।।


ना थे जो हमको रास वो भी आ गए।

ना थे जो हमारे पास वो भी आ गए।

वो भी आ गए ढूंढते- ढूंढते।।


ना थे जो हमारे दास वो भी आ गए।

ना थे जो मेरी सांस वो भी आ गए।

वो भी आ गए सूंघते- सूंघते।।


जिनकी हमको तलाश वो कब आएंगे।

जिनकी हमको है प्यास वो कब आएंगे।

तस्वीरे उनकी हम चूमते- चूमते।।


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