घमंड भाव का त्याग करें।
घमंड भाव का त्याग करें।
बना मिट्टी का तू है खिलौना,
पुनः मिट्टी में मिल जाना ।
तू सोच जरा, घमंड किस बात का है यारा।
अपना पराया जोरू जमीन सब,
यही छोड़कर जाना है।
तू सोच जरा घमंड किस बात का है यारा।
घमंड किया रावण ने हरि के पत्नी का ही हरण किया,
घर परिवार सहित नष्ट हुआ, किसी ने ना फिर शरण दिया।
सोने की लंका धू-धू जल गई-2
रहा ना कोई ठिकाना ।।
अब तू सोच जरा ...............।
द्वापर के कंस मामा जी भी, इसी रोग से ग्रसित हुए,
घमंड के बल पर कुकृत्य करके विधिविधान को पलट दिए।
बहन को जेल में डाल हत्या की उनकी संतानों को जी,
उनका दुखद अंत देखा है दुनिया और जहान।।
कि अब तू सोच जरा....................।
आओ मानव मूल्य अपनाएं ,घमंड भाव का त्याग करें,
प्रेम, शांति, सद्भाव, मित्रता इन सब के हम संग जिए।
करें समर्पित जीवन प्रभु को,
यही है सामाधान।।
कि अब तू सोच जरा..........................।