घमंड भाव दुःख को आमंत्रित करे
घमंड भाव दुःख को आमंत्रित करे
यह घमंड भाव दुःख को आमंत्रित करे,
सुख चाहिए तो इसका त्याग करो।
सबके साथ चलो,सबकी मदद करो,
सुख चाहिए तो सबको प्यार करो।।
यह घमंड भाव......................।।
ये महल,कोठी,यौवन और धन-संपदा,
रह जायेंगे यही, संग नहीं जायेगा।
बैक-बैलेंश , गाड़ी, जेवर सोने का,
जेब है ना कफ़न में नहीं जायेगा।
फिर तो इन सबका तुम सदुपयोग करो।।
यह घमंड भाव......................।।
बेटा,बेटी, पत्नी, कुछ ना कर पायेंगे,
जब ये प्राण पखेरू निकल जायेगा।
फिर ये मिट्टी की काया कफ़न ओढ़कर,
जल के पांचों तत्वों में बिखर जायेगा।
हश्र होगा यही ये विचार करो।।
यह घमंड भाव......................।।
जो है जन्मा,मरण उसका निश्चित है,
जो है निखरा, बिखरना भी तय उसका है।
जो है आया वो जायेगा एक दिन सुनो,
आखिर किस बात का फिर घमंड गुनो।
अब तो ईश्वर की सत्ता स्वीकार करो।।
यह घमंड भाव......................।।
