गधे की समाधि का सच
गधे की समाधि का सच
समाधि में छिपा सच
है यह कहानी बिल्कुल सच्ची मेरे पापा कहते थे।
एक था धोबी एक था गधा दोनों साथ में रहते थे।
धोबी को बहुत प्यार था गधे से
पर पीटता उसको बहुत था लाठी से।
एक दिन धोबी के मार से गधा मर गया।
पश्चाताप में धोबी ने गधे के शव को दफनाकर
एक समाधि बना दी और उसके ऊपर फूलों को चढ़ा दिया गया।
थोड़ी देर वह रोता हुआ वहां बैठ रहा
फिर अपने घर से देखता रहा।
थोड़ी देर में क्या देखा है कुछ लोग आकर वहां पर फूल और पैसे चढ़ा रहे हैं।
कुछ उस पर फल भी चढ़ा रहे हैं।
आपस में बात करते जा रहे हैं सिद्ध महात्मा की
समाधि दिखती है।
अब तो धोबी को मजा आ गया।
थोड़ा धूर्त तो था सोचा उसने यह तो बहुत अच्छा साधन है।
पैसे कमाने का।
लोगों को बेवकूफ बनाने का।
थोड़ी धुनी रमाई और वहीं बैठ गया।
जैसे की कोई सिद्ध महात्मा आए हो।
और लोग उसे समाधि पर आकर उसको भी प्रणाम करने लगे।
धीरे-धीरे उनकी ख्याति बढ़ती गई अपने आप को मोनी बाबा के रूप में प्रसिद्ध करता गया।
एक दिन उसका दोस्त आया।
उसने उससे पूछा यह सब माजरा क्या है।
तब उसने बताया कि मैं तो गधे को दफनाया था।
मगर इस लोगों ने गधे को महान महाराज बना कर माथा टेकना शुरू कर दिया ।
साथ में मेरी भी चांदी चांदी हो गई अब मैं महात्मा हूं मोनी बाबा हूं लोग मुझे पूछते हैं।
और इस समाधि पर बहुत कुछ पैसे चढ़ाते हैं।
दोस्त समाधि का छुपा सच जान गया।
मगर सच को वह पचा न पाया।
गांव की चौपाल पर खड़ा हो जोर-जोर से बोलने लगा
यह गधे की समाधि है यह गधे की समाधि है।
क्यों उसे भगवान बनाते हो
क्यों इसके ऊपर माथा टेकते हो
क्यों उसे धूर्त को पैसे देते हो।
उसको मोनी बाबा बनाते हो।
पहले तो नहीं माने लोग इस बात को मगर फिर
कुछ युवा लड़कों ने जाकर उसे समाधि को तोड़ा।
अंदर से गधे का हार्ड पिंजर निकाला।
लोगों का संशय मिटाया बोला अंधभक्त नहीं करते हैं।
लोगों को यह बात समझ में आई।
छुपा सच की बात समझ में आई।
मगर जब तक वह कुछ कार्यवाही करते तब तक धोबी ने तो
सिर पर पांव रखकर सरपट भाग कर अपनी जान बचाई।
और एक छुपा हुआ सच उजागर होने से
लोगों ने एक पाठ जिंदगी में पाया। कोई भी चीज पर अंधविश्वास ना करो।
नहीं तो तुम मरे हुए गड्ढे को भी पुजने लगोगे।
कहती है विमला
यह एक भेड़ चाल है इस भेड़ चल में ना आओ।
पहले जिस जगह पर तुम जाते हो। उस
जगह की बारे में कुछ जानकारी तो हासिल कर लो।
कि वह किसकी बनाई हुई है।
क्या है किस लिए प्रसिद्ध है।
उसके बाद वहां पर जाकर के माथा
टेको तो सही बात है।
तो तुम इन धूर्त ढोंगी ढोंगी बाबाओं से बच जाओगे।
और अपनी जिंदगी में अंधविश्वास को जगह नहीं दे पाओगे।
