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why shri

Classics Fantasy

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why shri

Classics Fantasy

एक वक्त के बाद

एक वक्त के बाद

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सुना है एक वक्त के बाद

कुछ भी ठीक नहीं होता 

गुजर जाता है अंधेरा 

फिर भी उजाला नही होता।। 


ता उम्र कोसते रह जाते है खुद को श्री की

छट जाता है जीवन फिर भी सवेरा नही होता।।


सुना है एक वक्त के बाद 

फिर उजाला नही होता।।

 

कल की चिंता करके 

आज को जला लेते है 

कुछ पाने की चाह में 

सब कुछ गवा लेते है।। 


सुना है एक वक्त के बाद

कुछ भी ठीक नहीं होता 

उजाला तो होता है 

लेकिन फिर सवेरा नही होता।।


पूनम की रात में भी

अंधेरा ही पसंद आता है 

दिल में रखे हुए लाखो बोझ को 

तो सिर्फ ये अंधेरा ही भाता है।।


हां श्री तुमने सच ही सुना है

एक वक्त के बाद सिर्फ अंधेरा ही रह जाता है।।


ऐसा नहीं श्री, की उजाले की उम्मीद नहीं

लेकिन मन में बंधे इन गाठो को

उन्हें देखने की शोहबत नहीं।।


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