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एक तरफ़ा प्यार

एक तरफ़ा प्यार

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रोज़ बतियाते नहीं तुमसे, ना साथ की

उम्मीद करते हैं

जब भी मिलती हैं राहें, झुका के सर,

कनखियों से देख लेते हैं

ना कोई रंज ओ ग़म है, ना कोई टीस

बाकी है इस दिल में

बात ये है, सुनो जाना, हम ऐसे इश्क़

करते हैं


हाँ पता है, सोशल मीडिया पर बड़े

चर्चे हैं जमाल के 

लोग चित्रों पर, नूर , गुलफाम, परियों

की रानी लिखते हैं 

हम इस भीड़ से इतर ज़रा हटकर ,

निहार कर, सबको पढ़कर, चित्रों को

फिर से संजो कर रख भी लेते हैं 

क्यूँकी बात ये है, सुनो जाना, हम

ऐसे इश्क़ करते हैं 


जिसे देखकर चाँद की होती है ईद,

तुम्हें वो चाँद कहते हैं

प्रार्थना में, अरदास में, तुम्हें नहीं, तुम्हारे

हिस्से सारी ख़ुशियाँ मांग लेते हैं

बेफ़िक्र हैं पर कुछ यूं तुम्हारी फ़िक्र

करते हैं

क्यूँकी बात ये है, सुनो जाना, हम ऐसे

इश्क़ करते हैं



किस्सों में, ख़यालों में, तुम्हारा ज़िक्र

करते हैं

दिल में ही मिल भी लेते हैं, दिल में ही

हिज्र करते हैं

हाँ दिल में ही, अपनी सिया के राम बनते हैं

बात ये है, सुनो जाना, हम ऐसे इश्क़

करते हैं

हम तुमसे इश्क़ करते हैं


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