एक सुलझी पहेली नारी
एक सुलझी पहेली नारी
कुटुम्ब निर्मित करती है नारी,
एक अटूट शक्ति है नारी,।।
अबला नही वो दुर्गा है,
चुनौतियों के रण में वो हथियार थामे एक योद्धा है,
जग का हर रंग नारी के आंचल में समाया है,
हर कला हर हुनर आज के युग की नारी ने आजमाया है,।।
कुटुम्ब निर्मित करती है नारी,
एक अटूट शक्ति है नारी,।।
गजरा पायल और लाल चुनरी
हर श्रृंगार उसपर खिलता है,
उसका मुखड़ा सूरज की लाली सा चमकता है,
उसकी सादगी उसका ताज है,
नारी की दास्तां का गवाह अटल अमर वो इतिहास है,।।
कुटुम्ब निर्मित करती है नारी,
एक अटूट शक्ति है नारी,।।
उसने अपनी ख्वाहिशों से पहले सबकी ख्वाहिशों का सोचा है,
सबकी तरह उसने भी एक ख्वाब देखा है,
चुन लेने दो उसे भी अपने हिस्से के आसमान को,
ना रोको उसे भरने दो उसे उसकी उड़ान को,।।
कुटुम्ब निर्मित करती है नारी,
एक अटूट शक्ति है नारी,।।
नारी का अर्थ बलिदान है,
एक नारी होने पर मुझे अभिमान है,
चल सकती है नारी भी बिना किसी सहारे के,
रुक जाते है कदम उसके सुनकर ताने जग के,।।
कुटुम्ब निर्मित करती है नारी,
एक अटूट शक्ति है नारी,।।
घुंघट की घुटन में ना नारी को धकेलो,
पिता और पति की नही उसे खुदकी एक पहचान दे दो,
नारी कोयल के मीठे गीत सी है,
ज़रा इत्मीनान से निहारो उसे वो चमकती चांदनी सी है,।।
