एक सलाम सैनिकों के नाम
एक सलाम सैनिकों के नाम
न आंधी का खौफ है,
न तूफान की चिंता है।
न ही वतन की खातिर,
अपनी जान की चिंता है।
सीने में खाते हैं गोली,
जैसे हो मां की रोटी।
हो महकता गजरा,
या बिटिया का झगड़ना।
बेटे की फरमाइश,
या फिर माँ की ममता।
सब छोड़ चल दिए,
कारगिल का ये रहता।
फिर सीने में भारत माँ के,
ये एसे सो जाते हैं।
होश न रहता इन्हें,
फिर माँ की गोद का।
