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Aarti Sirsat

Abstract Inspirational

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Aarti Sirsat

Abstract Inspirational

एक सैनिक की वतन से मौहब्बत

एक सैनिक की वतन से मौहब्बत

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वतन के लिए जीते हैं

वतन पर ही वो मरते हैं...!

बेइंतेहा, बेमिसाल, बेपनाह 

मौहब्बत वो वतन से ही करते हैं..!


देखकर उनकी वर्दी कि चमक 

को दुश्मन भी कोसों दूर भागते हैं...!

एक हाथ में तलवार तो दूसरे हाथ 

में वो अपने परिवार को रखते हैं..!!


आने ना पाएं कोई भी आँच राष्ट्र पर,

मातृभूमि की कसम रोज वो खाते हैं...!

नहीं कोई हवाओं और वर्षा का डर 

वो तो तूफानों का भी रूख मोड़ देते हैं..!


ना दिन कि कोई परवाह, ना 

ही रातों का चैन वो जानते हैं...!

भगवान भी ना कर सकें इतनी रक्षा 

वो तो ईश्वर की तरह पूजें जाते हैं..!


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