एक पत्र खुद को
एक पत्र खुद को
प्यारी रुचि
जिंदगी की हर उलझनों को सुलझाने का जो सिरा तुमने ढूँढा,
लगता नही है कि ये तुम्हारे लिए था कोई मुश्किल या अजूबा,
जानती हूँ कि तुम राह से थोड़ी भटक भावनाओं में उलझ जाती हो,
पर यह भी तो दे जाता है कि जीने का एक बार फिर नया तजुर्बा।
माना कि देर से तुमने जीवन को अपने हिसाब से जीना शुरू किया,
पर कोई नही इतने दिनों में अनुभव जिंदगी का तुमने खूब लिया,
कहते हैं सभी जब जागो तभी हो जाता है इस जहाँ में सवेरा,
इस तरह जिंदगी से प्यार कर तूने एक नया अध्याय शुरू किया।
चलो अब राह की मुश्किलों से घबराकर तुम्हें रुक नही जाना है,
बनकर प्रेरणा एक नई राह हर हारे हुए को तुम्हें दिखाना है,
रोना ,कलपना, टूटना ,बिखरना इसमें कोई बुरी बात नही,
इसके बाद तुम्हें फिर बड़ी मजबूती से खड़े होकर खुद को आजमाना है।
तुम्हारी रूह
