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Shivam Bashyan

Abstract

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Shivam Bashyan

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एक गुम सी गली

एक गुम सी गली

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एक गुम सी गली

एक गुम सा समा

एक गुम से हमे होना है यहाँ

कुछ वक्त अभी हाँ ठीक नहीं


किसी के अपने उनके करीब नहीं

सड़क पर पहरा कोई दे रहा है।

तन्हां बन्द कमरे में कोई आँसु पोछ रहा है

एक बच्चा स्कूल जाना चहाता है।


एक बाप कुछ और

पैसे जुटाना चहाता है

सब बन्द है यहाँ इस शहर में

अब कोई शोर नहीं है।


पर अब क्या करूँ इस

बीमारी पर अब कोई जोर नहीं है,

मैं अपनी ही नहीं

दूसरों की भी जान बचा रह हूँ।


एक गुम से शमा में

कुछ पल के लिए

मैं खुद को गुमनाम बना रहा हूँ।


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