एक दरियाँ हूँ मैं
एक दरियाँ हूँ मैं
जोश से भरा एक दरियाँ हूँ मैं
जा चट्टानों से टकराऊंगा
तोड़-तोड़ के एक एक पत्थर
अपना मार्ग बनाऊँगा ॥
स्वभाव नहीं मेरा हार मानना
जो कहता वो कर जाऊँगा
एक दिन कामयाबी की सीढ़ी जरूर
जीवन में चढ़ जाऊँगा ॥
वर्तमान मेरा अभी ठीक नहीं
इससे ना घबराऊंगा
ऐश से कटेगी सबकी जिन्दगी
इतना तो कर जाऊँगा ॥
इतने छोटे सपने नहीं मेरे
जो ऐसे ही बिखर जाऊंगा
दृढ़ता संग मैं बढ़कर
सपने पूरे कर जाऊँगा ॥
हार को अपनी जीत में बदलकर
लक्ष्य तक पहुँच जाऊँगा
रोक से ना रुकने वाला
कुछ तो नया कर जाऊँगा ॥